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रंगों का सफ़र: The Journey of Colors
Category: Motivational
यह कहानी विवेक नाम के एक लड़के की है जो इंजीनियरिंग छोड़कर चित्रकार बनता है। यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें अपने दिल की सुननी चाहिए और वही करना चाहिए जो हमें खुशी देता है।
Introduction
यह कहानी है विवेक की, एक ऐसे लड़के की जो समाज के दबाव और पारिवारिक अपेक्षाओं के बीच अपने सपनों की तलाश में निकल पड़ा। एक ऐसी दुनिया में जहाँ इंजीनियरिंग और मेडिकल ही ‘सफलता’ की निशानी माने जाते हैं, विवेक ने एक अलग रास्ता चुना, एक ऐसा रास्ता जो काँटों भरा था, लेकिन अंत में उसे असली खुशी तक ले गया।
विवेक एक सामान्य मध्यवर्गीय परिवार से था। उसके माता-पिता, जैसे हर भारतीय माता-पिता, चाहते थे कि उनका बेटा एक इंजीनियर बने। उन्होंने बचपन से ही उसे इसी दिशा में ढाला। विवेक भी, शुरू में तो, इसी सपने को जीता था, या यूँ कहें कि जीने का नाटक करता था। उसे गणित और विज्ञान में अच्छी पकड़ थी, लेकिन उसका दिल इन विषयों में नहीं लगता था। उसे रंगों से, रेखाओं से, आकृतियों से प्यार था। वो घंटों बैठकर स्केचिंग करता रहता, अपनी कल्पनाओं को कागज़ पर उतारता। लेकिन ये सब छुप-छुप कर, क्योंकि उसे पता था कि उसके parents को ये सब ‘बकवास’ लगता है। उन्हें लगता था कि ये सब ‘time waste’ है, इससे कोई career नहीं बनता। ‘Real world’ में इसकी कोई value नहीं है।
इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू होते ही विवेक का मन और भी बेचैन रहने लगा। Lectures उसे boring लगते, exams उसे stress देते। वो mechanically पढ़ाई तो करता था, अच्छे marks भी लाता था, लेकिन उसे कोई satisfaction नहीं मिलती थी। उसे लगता था जैसे वो कोई machine बन गया है, जो बस program के according काम कर रहा है। उसका creative side दबता जा रहा था, उसकी soul slowly dying थी।
एक दिन college के cultural fest में विवेक ने अपनी paintings display की। उसने socha, ‘Chalo, let’s give it a try.’ उसे उम्मीद नहीं थी कि किसी को उसकी paintings पसंद आएंगी। लेकिन हुआ इसके उलट। उसकी paintings सबको बहुत पसंद आईं। लोग उसकी creativity, उसके unique style की तारीफ कर रहे थे। उसे painting competition में first prize भी मिला। उस दिन विवेक को लगा जैसे उसे wings मिल गए हों। उसे realized हुआ कि उसकी true calling यही है।
उसने अपने parents को painting में career बनाने की बात बताई। जैसी उम्मीद थी, वैसा ही हुआ। उनका reaction बहुत negative था। उन्हें लगा कि विवेक ‘बचपना’ कर रहा है। उन्होंने उसे बहुत समझाया, डाँटा भी, लेकिन विवेक का मन पक्का था। उसने इंजीनियरिंग छोड़कर art school join कर ली। शुरुआत में बहुत struggles हुए। Financial problems भी आईं। Parents का support नहीं था, इसलिए खुद ही manage करना पड़ता था। Part-time jobs करता, exhibitions में अपनी paintings बेचता। धीरे-धीरे लोग उसके काम को recognize करने लगे। उसकी paintings magazines में छपने लगीं, galleries में display होने लगीं।
कुछ सालों की कड़ी मेहनत के बाद विवेक एक established artist बन गया। उसकी paintings की demand बढ़ती गई। उसने कई solo exhibitions लगाईं, awards जीते। उसकी paintings international level पर भी appreciated हुईं। उसके parents, जो पहले उसके decision से नाराज़ थे, अब उस पर proud feel करते थे। उन्हें realized हुआ कि उन्होंने almost अपने बेटे के talent को दबा ही दिया था। अब वो खुश थे कि विवेक ने अपनी passion को follow किया और successful बना।
विवेक की कहानी हमें यही सिखाती है कि हमें अपने दिल की सुननी चाहिए। हमें वही करना चाहिए जो हमें खुशी देता है, जो हमें satisfy करता है। समाज के दबाव में आकर, दूसरों की expectations fulfill करने के चक्कर में हमें अपने dreams को नहीं मारना चाहिए। क्योंकि true success वही है, जो हमें peace of mind दे, जो हमें truly happy बनाए। और ये happiness सिर्फ अपने passion को follow करके ही मिल सकती है।
Conclusion
विवेक की कहानी एक प्रेरणा है उन सभी के लिए जो अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं। यह कहानी हमें सिखाती है कि अगर हम अपने दिल की सुनें और मेहनत करें, तो हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं और अपने लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। True success lies in following your passion.
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