शेर और चालाक बंदर: जंगल की कहानी

शेर और चालाक बंदर: जंगल की कहानी

Category: Motivational

एक शेर और चालाक बंदर की कहानी जिसमें बंदर अपनी बुद्धि से अपनी जान बचाता है।

Introduction

जंगल की दुनिया, रहस्यों और रोमांच से भरी हुई। जहाँ ताकतवर का राज चलता है, वहीं चतुराई भी कम नहीं होती। यह कहानी एक शेर, एक बंदर और उनकी अनोखी मुलाकात की है, जिसमें जान बचाने की जद्दोजहद और दिमाग की दौड़ देखने को मिलेगी।

शेर की भूख

गर्मी का मौसम था। जंगल झुलस रहा था। सूखा पड़ा था। नदी का पानी सूख गया था, सिर्फ़ एक छोटा सा गड्ढा बचा था, जिसमें थोड़ा पानी था। एक विशालकाय शेर, बादशाह शेर, प्यासा और भूखा घूम रहा था। उसकी नज़र एक पेड़ पर बैठी हुई बंदर पर पड़ी। बंदर, चिंटू, काफी फुर्तीला और चालाक था।

मुठभेड़

शेर ने चिंटू को देखा और उसके मुँह में पानी आ गया। “आज का भोजन मिल गया,” उसने सोचा। धीरे-धीरे वो पेड़ के पास पहुँचा और गुर्राया, “ओए बंदर! नीचे आ! मेरा पेट बहुत खाली है।” चिंटू डर गया, पर उसने अपना दिमाग नहीं खोया। वो जानता था कि अगर वो नीचे उतरा, तो शेर उसे खा जाएगा।

चिंटू की चतुराई

चिंटू ने शेर से कहा, “महाराज, आप जंगल के राजा हैं। मैं आपका भोजन कैसे बन सकता हूँ? लेकिन मैं इतना कमज़ोर हूँ कि पेड़ से नीचे उतरते-उतरते ही गिर जाऊँगा। आपको निराशा ही हाथ लगेगी।” शेर को चिंटू की बात पर यकीन आ गया। वो सोचने लगा कि ये बंदर सच कह रहा है।

एक चाल

चिंटू ने फिर कहा, “महाराज, नदी के उस पार, मीठे और रसीले फल लगे हैं। अगर आप मुझे ले चलेंगे, तो मैं आपको वो फल खिलाऊँगा। आपकी भूख भी मिट जाएगी और मुझे खाने की ज़रूरत भी नहीं पड़ेगी।” शेर को ये बात जँच गई। उसे मीठे फल खाने का लालच आ गया।

नदी पार

शेर चिंटू को अपनी पीठ पर बिठाकर नदी की तरफ चल दिया। नदी में पानी कम था, इसलिए शेर को कोई परेशानी नहीं हुई। चिंटू शेर की पीठ पर बैठा हुआ जंगल का नज़ारा देख रहा था। उसे अपनी चतुराई पर गर्व हो रहा था। “Survival of the fittest, and smartest,” वो मन ही मन मुस्कुराया।

बंदर की उड़ान

जैसे ही शेर नदी पार करके दूसरे किनारे पर पहुँचा, चिंटू फुर्ती से एक ऊँचे पेड़ पर चढ़ गया। शेर ने ऊपर देखा और गुस्से से दहाड़ा, “अरे धोखेबाज़! तूने मुझे बेवकूफ़ बनाया!” चिंटू ने पेड़ से कहा, “महाराज, जंगल में चतुराई भी ज़रूरी है। आप ताकतवर हैं, पर मैं चालाक हूँ। आज मेरी चतुराई ने मेरी जान बचाई।” कहकर चिंटू जंगल में उड़ा गया, शेर को गुस्से और भूख से तड़पता छोड़कर। शेर समझ गया कि जंगल में सिर्फ़ ताकत ही काफी नहीं, दिमाग का इस्तेमाल भी ज़रूरी है।

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