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सच की आवाज़ | The Voice of Truth
Category: Motivational
एक स्कूल में, एक बेगुनाह बच्चे पर झूठा इल्ज़ाम लगता है। लेकिन एक साहसी बच्चा सच का साथ देता है और न्याय की जीत होती है।
Introduction
स्कूल की दीवारों में, जहाँ बच्चों की हँसी गूँजती है, वहाँ कई अनकही कहानियाँ छिपी होती हैं। कभी दोस्ती की मीठी कहानियाँ, तो कभी धोखे और बदमाशी की कड़वी दास्तानें। आज हम ऐसी ही एक कहानी लेकर आए हैं, जो साहस और सच्चाई की अहमियत सिखाती है।
रोहन, एक शर्मीला और सीधा-साधा लड़का था। वो हमेशा अपनी पढ़ाई में लगा रहता था। उसके कुछ classmates, विशेषकर अमित, सुरेश और विकास, उसे अक्सर चिढ़ाते रहते थे। कभी उसके चश्मे का मज़ाक उड़ाते, कभी उसके कपड़ों पर comment करते। रोहन चुपचाप सब सह लेता, क्योंकि उसे confrontation से डर लगता था। एक दिन, स्कूल के library से एक valuable book गायब हो गई। अमित और उसके दोस्तों ने मौका देखकर सारा इल्ज़ाम रोहन पर लगा दिया। रोहन बेगुनाह था, पर उसके पास कोई सबूत नहीं था। वो बस यही कहता रहा, “मैंने नहीं चुराई किताब। मैंने नहीं किया।” लेकिन किसी ने उसकी एक न सुनी। everyone against him था. It felt like the whole world was crashing down.
अगले दिन, स्कूल में सन्नाटा छा गया। सभी रोहन को ही चोर समझ रहे थे। टीचर्स भी उससे सख्ती से पूछताछ कर रहे थे। रोहन की आँखों में आँसू थे, पर वो अब भी अपनी बेगुनाही का दावा कर रहा था। उसकी आवाज़ में अब वो पहले जैसी ताकत नहीं थी। वो टूट चुका था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे।
इसी बीच, समीर, जो ये सब चुपचाप देख रहा था, बहुत disturbed था। वो रोहन का close friend तो नहीं था, but वो जानता था कि रोहन बेकसूर है। उसने अपनी आँखों से देखा था कि अमित और उसके दोस्त library के पीछे कुछ छुपा रहे थे। समीर के मन में एक conflict चल रहा था। अगर वो सच बोलता है, तो अमित और उसके दोस्त उससे भी बदला लेंगे। लेकिन अगर वो चुप रहा, तो एक बेगुनाह को सजा मिलेगी।
समीर ने हिम्मत जुटाई और principal’s office की तरफ चल पड़ा। उसके पैर काँप रहे थे, दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। लेकिन उसे पता था कि उसे ये करना ही होगा। ये सही था। ‘Do the right thing, even when it’s hard’, उसकी दादी माँ की ये बात उसके कानों में गूंज रही थी।
समीर ने principal को पूरी घटना बता दी। principal ने अमित, सुरेश और विकास को बुलाया और उनसे पूछताछ की। शुरू में तो वो मुकरते रहे, पर जब principal ने सख्ती दिखाई, तो उन्होंने सच कबूल कर लिया। किताब library के पीछे एक cupboard में छिपा कर रखी थी। रोहन के खिलाफ सारे इल्ज़ाम वापस ले लिए गए। उसकी आँखों में खुशी के आँसू थे। उसे लगा जैसे एक भारी बोझ उसके कंधों से उतर गया हो। अमित और उसके दोस्तों को उनकी गलती की सजा मिली।
इस घटना ने स्कूल के सभी बच्चों को एक सबक सिखाया। समीर की bravery की everyone ने तारीफ की। उसने दिखा दिया कि सच बोलने के लिए कितनी हिम्मत चाहिए होती है। और ये भी कि सच, कितना भी दबा दिया जाए, अंत में हमेशा जीतता है।
Conclusion
यह कहानी हमें सिखाती है कि सच का साथ देना हमेशा आसान नहीं होता, लेकिन ज़रूरी होता है। सच बोलने के लिए साहस चाहिए और हमें हमेशा सच का साथ देना चाहिए, चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएँ। क्योंकि सत्य की हमेशा विजय होती है।
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